लखनऊ । प्रदेश की योगी सरकार ने कहा है कि उनकी सरकार गन्ना किसानो को उनकी उपज का शत प्रतिशत भुगतान करने के लिये कटिबद्ध है। साथ ही सरकार ने दावा किया है कि सरकार ने वित्तीय वर्ष 2021-22 का गन्ना भुगतान 99.89 फीसदी कर दिया है जबकि 2022-23 में 95 फीसदी से अधिक का भुगतान किया जा चुका है।
विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान बुधवार को सपा सदस्य मनोज पांडे द्वारा पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुये प्रदेश के के गन्ना विकास मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने बताया कि कप्तानगंज में एक चीनी मिल को 21 करोड़ रूपये की आरसी जारी की गयी है। वर्तमान सत्र में अब तक 1393 करोड़ रूपये की गन्ना खरीद की गयी है जिसमें 1373 करोड़ रूपये का भुगतान किया जा चुका है। उन्होने कहा कि 2007 से 2017 के बीच 1.43 लाख करोड़ रूपये की गन्ना खरीद की गयी थी जिसके सापेक्ष उनकार सरकार पिछले दो वर्षाे में ही 2.21 लाख करोड़ रूपये का गन्ना किसानो से खरीद चुकी है। उन्होने कहा कि 2007 से 2012 के बीच 19 चीनी मिले बेची गयी जबकि 2012 से 2017 के बीच 11 चीनी मिले बंद हुयीं। मौजूदा सरकार के कार्यकाल में गागनहेडी, मुडेरवा समेत आठ नयी चीनी मिले शुरू की गयी हैं जबकि पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की कर्मभूमि बागपत के रमाला में स्थित सहकारी चीनी मिल में एथेनाल संयंत्र लगाया गया है।
वहीं राष्ट्रीय लोकदल के डा. अजय कुमार ने इसी मुद्दे पर कहा कि स्वामीनाथन रिपोर्ट के अनुसार गन्ना किसानो को उनकी लागत का 50 फीसदी और जोड़ कर गन्ने का भुगतान किया जाना चाहिये और अगर इस रिपोर्ट का अनुसरण किया जाये तो गन्ना किसानो को 450 रूपये प्रति क्विंटल की दर से गन्ने का मूल्य मिलना चाहिये मगर सरकार किसानो को अभी तक उनकी उपज का लाभकारी मूल्य दिलाने में भी विफल रही है। जवाब में गन्ना विकास मंत्री चौधरी ने कहा कि गन्ने का मूल्य इस काज के लिये बनी कमेटी विचार विमर्श कर करती है। सरकार ने गन्ना किसानो के हितों का भरपूर ख्याल रखा है। रमाला चीनी मिल की क्षमता में वृद्धि की गयी है। बस्ती के रूदौली विधानसभा क्षेत्र के विधायक आरपी चौधरी ने कहा कि कृषि उपकरणों पर जीएसटी समाप्त करने की मांग की।
वहीं, इस संदर्भ में सरकार की ओर से किए उत्तर देते हुए संसदीय कार्यमंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा कि खाद्य और कीटनाशकों पर पहले ही पांच फीसदी जीएसटी है और कुदाल, फावड़ा आदि पर जीएसटी के दायरे में नहीं आते। अन्य कृषि उपकरण जैसे ट्रैक्टर आदि पर जीएसटी राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र के बाहर है और वैसे भी इन उपकरणों पर यदि जीएसटी हटायी या कम की जाती है तो इसका प्रतिकूल प्रभाव किसानों पर पड़ेगा। उधर, संसदीय कार्यमंत्री के जवाब से असंतुष्ट नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि सरकार हमेशा कहती है कि उसके पास सरप्लस रेवेन्यू है, तो फिर राज्य सरकार अपनी ओर से किसानो को यह राहत क्यों नहीं प्रदान करती। इस पर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने हस्तक्षेप करते हुये कहा कि मंत्री कह रहे हैं कि जीएसटी उनके अधिकार क्षेत्र का मामला नहीं है तो फिर इस सवाल का कोई औचित्य नहीं है।