नई दिल्ली । राष्ट्रीय राजधानी से लेकर एनसीआर तक लगातार बेहद खराब स्थिति में चल रही हवा की गुणवत्ता के मामले का स्वत: संज्ञान लेकर शुरू की गई कार्यवाही पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कहा कि दिल्ली की हवा की गुणवत्ता कभी बेकार स्तर पर न जाए, इसके लिए विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करें। एनजीटी ने कहा कि विभिन्न एजेंसियों से उम्मीद है कि वो ऐसा प्लान तैयार करके काम करें कि ग्रेप-1 लागू करने की जरूरत न पड़े। इस दौरान जमीनी स्तर पर हालात न सुधरने पर दिल्ली सरकार, डीपीसीसी, सीपीसीबी को कटघरे में खड़ा किया। मामले में अगली सुनवाई छह दिसंबर को होगी। पिछली सुनवाई पर एनजीटी ने दिल्ली सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा था कि दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता में सुधार करने के लिए दिल्ली सरकार के पास इच्छाशक्ति नहीं है। एनजीटी ने पूछा था कि आपकी टीमें क्या कर रही हैं, आखिर सुधार कहां है। एनजीटी ने कहा था कि सरकार पर स्थिति को नियंत्रित करने के लिए उचित प्रयास नहीं करने का आरोप है। सुनवाई के दौरान एनजीटी ने सीपीसीबी, डीपीसीसी व एमसीडी द्वारा दाखिल की गई रिपोर्ट पर सवाल उठाया था। एनजीटी ने कहा था कि पूर्व के आदेश के बावजूद भी वायु प्रदूषण को कम करने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाए गए। एनजीटी ने कहा कि दिल्ली में वायु गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं हो रहा है। एनजीटी ने अधिकारियों को अगली रिपोर्ट में यह बताने को कहा कि निर्माण कार्य पर प्रतिबंध लगाने समेत अन्य पहलुओं पर क्या कार्रवाई की गई। एनजीटी ने उक्त आदेश दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता बेहद खराब होने के मुद्दे का आठ नवंबर को स्वत: संज्ञान लेकर रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया था।